1. न्यायालय द्वारा रेफर की गई मध्यस्थता (Mediation) ऐसे मामले जो न्यायालय में लम्बित हैं, उन्हें न्यायालय द्वारा सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 की धारा 89 के अन्तर्गत भेजा गया हो। दोनों पक्षों में से किसी एक पक्ष के अनुरोध पर भी यह मध्यस्थता हो सकती है।

 

2. निजी/संस्थागत मध्यस्थता निजी/संस्थागत मध्यस्थता के माध्यम से योग्य मध्यस्थ द्वारा मध्यस्थता की जा सकती है। देश में अनेक निजी मध्यस्थता केन्द्र स्थापित हो रहे हैं। निजी मध्यस्थता का उपयोग न्यायालय में वाद स्थापित करने से पूर्व बहुत उपयोगी रहा है। यह कानूनी विवाद से बचने का एक तरीका है। हिन्दू विवाह अधिनियम एवं विशेष विवाह अधिनियम के मामलों में विशेष गोपनीयता रखी जाती है एवं इसमें वैकल्पिक विवाद समाधान बहुत उपयोगी है, जिसका मूल उद्देश्य सुलह कराना, दोनों पक्षों को संरक्षण देना, सम्बन्धों को बनाये रखना एवं बच्चों को संरक्षण देना, एक लचीली चरणबद्ध प्रक्रिया द्वारा किया जाता है।